तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी
तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी,
इतनी जो चोट खाउंगी,
बार बार
ऐसे कैसे मैं जी पाऊँगी,
रोऊंगी भी तो आखिर
किसी को क्या मैं बताउंगी,
ऐसे छुप छुप कर आखिर
मैं किसी दिन युही मर ना जाउंगी।
I love to write Hindi Poetries and Poem
तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी
तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी,
इतनी जो चोट खाउंगी,
बार बार
ऐसे कैसे मैं जी पाऊँगी,
रोऊंगी भी तो आखिर
किसी को क्या मैं बताउंगी,
ऐसे छुप छुप कर आखिर
मैं किसी दिन युही मर ना जाउंगी।
बीते कल में वापस मुझे अब जाना नहीं
लौट कर आना नहीं, वापस अब जाना नहीं,
जो बीत गया उसे भी भुलाना नहीं,
बीते कल को वपास जीने का भी
अब कोई बहाना नहीं,
आंखों से पानी भी अब छलकाना नहीं,
बीता हुआ कल था, बीते कल में अब वापस मुझे जाना नहीं
तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी तुमको मैं ना अब बुलाऊंगी, इतनी जो चोट खाउंगी, बार बार ऐसे कैसे मैं जी पाऊँगी, रोऊंगी भी तो आखिर किसी को क्या म...